लेबनानी संसद में हिज़्बुल्लाह के प्रतिनिधि हुसैन जशी ने कहा कि ज़ायोनी दुश्मन के खिलाफ एक प्रभावी रास्ता सशस्त्र संघर्ष है और ज़ायोनी दुश्मन सिर्फ ताकत की भाषा समझता है। उन्होंने कहा कि लेबनान की आज़ादी और ज़ायोनी सरकार की हार मे हिज़्बुल्लाह की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि 1982 से ही प्रतिरोधी सेनाएं किसी भी तरह के दुस्साहस के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।
उन्होंने कहा कि लेबनान की आज़ादी हथियारों के माध्यम से ही संभव हुई है और यह एकमात्र भाषा है जिसे दुश्मन समझता है। जो लोग प्रतिरोध को हथियार छोड़ने की सलाह देते हैं उन्हें सबसे पहले दुश्मन के सामने प्रभावी रक्षा रणनीति बनानी चाहिए।
जशी ने लेबनानी सेना के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा कि हम इस बात का समर्थन करते हैं कि सेना देश की रक्षा करेगी, लेकिन सेना के लिए उपकरणों और जरूरी सैन्य साज़ों सामान से सुसज्जित होना आवश्यक है ताकि वह अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर सके। जब सेना पूरी तरह तैयार हो जाएगी, तभी हथियारों के मुद्दे पर बात करना संभव है।
आपकी टिप्पणी